कागज़ पर छपने वाली हर खबर सिर्फ शब्द नहीं होती, बल्कि जनता की आवाज़ होती है। न्यूज़पेपर और पत्रकार का असली काम है – सच को उजागर करना, सवाल उठाना और जनता की तकलीफ़ों को सत्ता के सामने रखना।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, क्योंकि जब नेता व अधिकारी अपनी कुर्सियों में घुसकर सो जाते हैं, तब पत्रकार ही है जो भ्रष्टाचार को उजागर करता है, गरीब की आवाज़ को पन्नों पर उतारता है और आम जनता के हक़ की लड़ाई लड़ता है
लेकिन आज हालात उल्टे नज़र आते हैं। कुछ न्यूज़पेपर सिर्फ बर्थडे पार्टी, विज्ञापन और नेताओं की चापलूसी छापकर पत्रकारिता को कमर्शियल दुकान बना चुके हैं। सवाल उठता है – क्या यही पत्रकार का काम है?
👉 असली पत्रकार वही है जो जनता के बीच जाकर गड्ढ़े, टूटी पाइपलाइन, गंदगी, पानी की समस्या, भ्रष्टाचार और अन्याय की सच्चाई को सामने लाए। क्योंकि अख़बार सिर्फ रंगीन पोस्टर नहीं, बल्कि जनता का आईना होना चाहिए।
अगर न्यूज़पेपर और पत्रकार जनता की आवाज़ बनेंगे, तभी समाज बदलेगा। वरना छपे हुए कागज़ को लोग अख़बार नहीं, सिर्फ रद्दी कहेंगे।
