ईद मिलादुन्नबी बंद होने के बाद अभी 9 साल हो गए हैं के शहर की सड़कों पर नेताओं की आवाज़ मानो गायब हो गई थी अब 9 साल बाद नगर परिषद इलेक्शन को देखते हुए सभी नेता को ईद मिलादुन्नबी की याद आ रही है आम जनता अपने मसलों को लेकर दर-दर भटकती रही, लेकिन कोई भी नेता खुलकर सामने नहीं आया। लेकिन जैसे ही नगर परिषद चुनाव की आहट सुनाई देने लगी, वैसे ही बरसाती सीदौड़ों की तरह नेता अचानक सक्रिय हो उठे
शहर में जगह-जगह मीठे बोल और वादों की झड़ी लगने लगी है। जो नेता पिछले 9 सालों से किसी त्योहार के लिए नजर नहीं आ रहे थे अब उनको ईद मिलादुन्नबी की याद आ रही है जो समाज के कामों को लेकर भी नज़र तक नहीं आए, वे अब हर गली-मोहल्ले में दिखने लगे हैं जनता इसे देखकर कह रही है कि “जनता के दुख-दर्द में खामोशी, लेकिन चुनाव आते ही दिखावा—यही है नेताओं की सियासत
चर्चा तो ऐसी भी चल रही है कि कुछ अपने आप को नेता समझने वाले वह दूसरों के इशारे पर और दूसरी पार्टी के नेताओं के आदेश पर यह सब खेल खेल रहे हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अचानक की चहल-पहल चुनावी मैदान में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश है। सवाल यह है कि जनता अब इन बरसाती सीदौड़ों पर भरोसा करेगी या फिर उन चेहरों को तलाशेगी जो हर वक्त उनके बीच खड़े रहे
शहर की जनता अब जागरूक है और इस बार वोट की ताकत से असली और नकली नेताओं में फर्क करने का मन बना रही है क्योंकि समाज के सौदा करने वाले लोगों के चेहरे भी अब आम जनता के सामने आ चुके हैं फेसबुक और व्हाट्सएप के नेता यह भी अलग है ऐसी मलकापुर शहर में चर्चा चल रही है
