मलकापुर सहित कई शहरों में ऐसे कई समाचार पत्र आज भी प्रकाशित हो रहे हैं जो सूचना व जनसंपर्क विभाग द्वारा पहले ही डी-ब्लॉक घोषित किए जा चुके हैं। सवाल यह है कि जब इन अखबारों की मान्यता रद्द हो चुकी है, तब भी ये कैसे चल रहे हैं? और इन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी आखिर किसकी है?
जानकारों के अनुसार, ऐसे मामलों में निम्नलिखित अधिकारी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत होते हैं:
1. जिला सूचना अधिकारी (DIO):
यह अधिकारी डी-ब्लॉक अखबारों की निगरानी कर सकता है और विभाग को रिपोर्ट भेज सकता है। साथ ही फर्जी रिपोर्टिंग और विज्ञापन के दुरुपयोग पर संज्ञान ले सकता है।
2. तहसीलदार एवं एसडीएम (SDO):
क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे फर्जी पत्रकारों की गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी इन्हीं अधिकारियों की होती है। वे कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की स्थिति में कार्रवाई कर सकते हैं।
3. पुलिस प्रशासन:
यदि कोई डी-ब्लॉक अखबार खुद को पत्रकार बताकर वसूली, धमकी या फर्जीवाड़ा करता है, तो उस पर IPC की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर कार्रवाई की जा सकती है।
फिर भी सवाल वही है — जब अधिकारी मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
यदि प्रशासन वाकई चाहता है कि फर्जी पत्रकारिता और डी-ब्लॉक अखबारों पर रोक लगे, तो उसे तत्काल संयुक्त कार्रवाई कर शहर को इस गंदगी से मुक्त करना होगा।
