किस करूं उम्मीद मैं अपनी रहनुमाई की चंद सिक्कों में काम के सरदार बिक गए.. तुम्हारी सोच के सांचे में मैं डाल नहीं सकता जबान काट लो मेरी मैं लैजी बदल नहीं सकता

शैख़ जमील मुख्य संपादक शब्द की गूंज
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 बड़ी खबर: अपंग होते हुए भी कांग्रेस के प्रति वफादार रहे फिरोज खान को मिला धोखा – रोडछाप नेताओं ने भी दिखाई औक़ात! 
मलकापूर भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी के जुझारू, वफादार और वर्षों से संघर्ष करते आए कार्यकर्ता फिरोज खान अफसर खान के साथ पार्टी द्वारा हुआ अन्याय अब खुलेआम चर्चा का विषय बना हुआ है
एक हाथ से अपंग होने के बावजूद, फिरोज खान ने कभी मेहनत और संघर्ष से कदम पीछे नहीं खींचे।
गली से लेकर दिल्ली तक—हर नेता के दुख–सुख में वह हमेशा सबसे आगे खड़े रहे।
जिसकी औकात नहीं थी, ऐसे कई (रोडछाप) लोगों को भी उन्होंने नेताओं के पास ले जाकर नगरसेवक बनवाया।
पार्टी में सम्मान दिलाने के लिए उन्होंने कई बार नेताओं से लड़ाई तक लड़ी।
लेकिन…
जिस पार्टी को उन्होंने अपना खून-पसीना दिया, उसी पार्टी ने उन्हें धोखे में रखा।
और सबसे शर्मनाक बात—जिन रोडछाप लोगों को उन्होंने खड़ा किया, वही आज उनके खिलाफ खड़े होकर अपनी “औक़ात” दिखाने लगे।
अब कांग्रेस के कई वरिष्ठ और स्थानीय नेता भी मान रहे हैं कि
अगर सच्चे और पुराने कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा ही अन्याय चलता रहा,
तो आने वाले नगर परिषद चुनाव के नतीजे पार्टी को साफ जवाब दे देंगे।
लोगों का कहना है 
“जो साथी अपंग होकर भी पार्टी के लिए दिन-रात दौड़ा,
अगर उसी के साथ पार्टी नाइंसाफी करती है,
तो आम कार्यकर्ता का क्या हाल होगा?”
कांग्रेस के अंदर मचा यह असंतोष आने वाले दिनों में बड़ा मुद्दा बन सकता है..... मलकापुर शहर में ऐसी चर्चा चल रही है कि कांग्रेस पार्टी का अपना कोई प्रोटोकॉल है या नहीं अगर है तो आप देख सकते है यह है कांग्रेस पार्टी का प्रोटोकॉल 
कांग्रेस पार्टी का प्रोटोकॉल और टिकट प्रक्रिया
“कांग्रेस पार्टी में टिकट कैसे मिलता है? सदस्यता से लेकर चयन प्रक्रिया तक पूरा प्रोटोकॉल आपकी आंखों के सामने है
मलकापुर सहित देश के कई हिस्सों में नगर परिषद चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी है। ऐसे में आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक कार्यकर्ताओं तक, सभी के मन में एक ही सवाल—कांग्रेस पार्टी का टिकट आखिर कैसे मिलता है? पार्टी की सदस्यता कब लेनी चाहिए? टिकट के लिए कितनी योग्यता और कितना अनुभव जरूरी है
आज हम आपको बता रहे हैं कांग्रेस पार्टी का मूल प्रोटोकॉल।
 1. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता कब और कैसे लेनी चाहिए?
कांग्रेस पार्टी में सदस्यता साल भर किसी भी समय ली जा सकती है
पार्टी के नियमों के अनुसार, सक्रिय राजनीति में उतरने के इच्छुक व्यक्ति को कम से कम 6 महीने से 1 वर्ष पहले सदस्य बनना अनिवार्य माना जाता है।

सदस्यता दो प्रकार की होती है:

प्राथमिक सदस्य (Primary Member)

सक्रिय सदस्य (Active Member) इसके लिए पार्टी के अंदर सक्रिय योगदान, मीटिंग अटेंडेंस और संगठन की स्वीकृति आवश्यक होती है
 2. सदस्य बनने के बाद टिकट कैसे मिलता है
कांग्रेस पार्टी टिकट वितरण एक तय प्रक्रिया के तहत करती है। इसमें कई चरण शामिल होते हैं
(1) स्थानीय स्तर पर सर्वे और रिपोर्ट
वार्ड स्तर से लेकर नगर स्तर तक ब्लॉक कमिटी और शहर जिला कमिटी उम्मीदवार के काम, छवि और जनता में पकड़ की रिपोर्ट तैयार करती है
(2) संगठन में सक्रियता
पार्टी यह देखती है कि उम्मीदवार ने पिछले चुनावों, आंदोलनों, सामाजिक कामों और पार्टी कार्यक्रमों में कितनी सक्रियता दिखाई
सिर्फ सदस्यता लेने से टिकट नहीं मिलता—पार्टी के लिए किया गया काम ज्यादा महत्वपूर्ण होता है
(3) सोशल इमेज और जन समर्थन
पार्टी आंतरिक सर्वे करती है कि कौन उम्मीदवार चुनाव जीतने की क्षमता रखता है
उम्मीदवार की जनसंपर्क, सामाजिक काम और ईमानदारी जैसे पहलू देखे जाते हैं
 3. टिकट में कितना समय लगता है

 नगरसेवक (Corporator) टिकट

सामान्यत: 6 महीने से 1–2 साल सक्रिय काम करने वाले को मौका मिल सकता है
पहली बार लड़ने वालों को भी टिकट मिलता है, बशर्ते वे जनसमर्थन के साथ संगठन में सक्रिय हों
 नगराध्यक्ष / महापौर (Municipal Council President / Mayor)

इसके लिए आमतौर पर
पार्टी में 3–5 साल की सक्रिय भूमिका
संगठन की मंजूरी
तथा मजबूत जनाधार जरूरी माना जाता है
 आमदार (MLA) / खासदार (MP) का टिकट
यह निर्णय पूरी तरह हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व पर निर्भर होता है
यहाँ सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है
संगठन में वरिष्ठता
पार्टी के लिए किया गया योगदान
सामाजिक छवि
वोट जीतने की क्षमता
कई बार 8–10 साल तक काम करने वाले नेताओं को भी टिकट नहीं मिलता, वहीं कुछ नए चेहरों को मौका मिलता है
 4. टिकट का अंतिम निर्णय कौन करता है
नगरसेवक: जिला/शहर कांग्रेस कमिटी  ब्लॉक कमिटी

नगराध्यक्ष: जिला व प्रदेश कमिटी

MLA/MP:

प्रदेश कांग्रेस कमिटी (PCC)

अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (AICC)
और अंत में हाईकमान की मंजूरी
 5. राजनीति में “दलालों” या बिचौलियों का रोल?
कांग्रेस पार्टी ने कई बार साफ कहा है कि टिकट केवल संगठन तय करता है, बिचौलियों का कोई रोल नहीं होना चाहिए
लेकिन स्थानीय स्तर पर टिकट के समय कई तरह की अफवाहें और समीकरण बनते-बिगड़ते रहते हैं, जिससे आम कार्यकर्ता भ्रमित हो जाता है
इसलिए पार्टी हमेशा सलाह देती है
“संगठन से सीधे जुड़े, बिचौलियों पर भरोसा न करें

कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी में टिकट किसी एक व्यक्ति या एक रात के फैसले से नहीं मिलता।
सदस्यता, संगठन में सक्रियता, जनता के बीच पकड़ और पार्टी की विचारधारा के प्रति वफादारी—ये चारों चीजें टिकट तय करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाती हैं।
चुनाव करीब आते ही राजनीति गरमाती है, लेकिन टिकट केवल उसी को मिलता है, जो लंबे समय से जमीन पर और संगठन में मजबूती से काम करता आया हो अपनों पर सितम गैरों पे करम क्या यह पुराने कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय नहीं है ऐसी चर्चा मलकापुर शहर में चल रही है

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