कब्रिस्तान में एक कब्र पर स्कूल का बैग रख कर बच्चा कब्र से लिपट कर रो रहा था और कह रहा था अबू उठो। टीचर ने कहा है कल फीस ज़रूर लाना वरना अपने अबू को साथ लाना। उठो।।

शैख़ जमील मुख्य संपादक शब्द की गूंज
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साथ वाली कब्र के पास खड़ा व्यक्ति कब्र के लिए हजारों रुपये की कीमती चादर और फूल पहुंचाने के लिए किसी दुकानदार को फोन कर रहा था और साथ ही बच्चे की बातों पर भी ध्यान दे रहा था। 
उसने फोन पर यह कहकर फोन बंद किया कि भाई चादर और फूल नहीं चाहिए। फूल इधर मिल गए हैं। 
फिर उसने बच्चे से कहा ये लो बेटा। तुम्हारे अबू ने फीस और नई यूनिफार्म आदि के लिए पैसे भेजे हैं।
 इसी तरह हर मुसलमान पर यह फर्ज है कि वह जरूरतमंद लोगों का ध्यान रखें आज उम्मते मुस्लिमा में ऐसे नए-नए रश्मि पैदा हो रहे हैं जिससे उम्मते मुसलमानों गुमराह हो रही है अगर तुम अपने बच्चों पर बेफज्जुल खर्च करके या उन्हें मोबाइल दो कर खुश हो रहे हो तो यह तुम्हारी भूल है तुम उनकी और अपनी आखिरत खराब कर रहे हो आज बेफिजूल खर्ची करने के बजाय अगर दिनी इज्जर पर या शिक्षा पर कुछ मदद की जाए तो बहुत बेहतर होगा
दोस्तों! इन रस्मों पर पैसे खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद की मदद कर दिया करो तो बहुत सुकून और खुशी महसूस करोगे। आज हमारे मोहसरे में हर चीज के अंदर बेहुरमति हो रही है जैसे के लेडिस की बेपर्दगी जैसे के लोगों का नमाजों से दूर होना जैसे के लोगों का गैर रस्मों को अपनाना अल्लाह इन सब चीजों से उम्मते मुस्लिमा की इबादत फरमाए आमीन और अल्लाह ताला तमाम उम्मते मुस्लिमा के लोगों को अच्छी हिदायत अता फरमाए 


अल्लाह हमें हिदायत दे

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