मलकापुर में जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से जनता परेशानसड़कें टूटी, नालियाँ जाम, पीने का पानी नहीं कभी-कभी गंदा आता है नेता लापता!

शैख़ जमील मुख्य संपादक शब्द की गूंज
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मलकापुर,  जुलाई जुलाई महीने का हाल
शहर मलकापुर की जनता आजकल बेहद नाराज़ और हताश है। वजह साफ है  यहाँ के जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और कामचोरी। चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता अब जनता के बीच दिखाई ही नहीं देते।
परपट के कई वार्डों में सड़कें टूटी पड़ी हैं, बरसात के मौसम में कीचड़ और गड्ढों से हादसों का डर बना रहता है। नालियाँ महीनों से साफ नहीं हुईं, जिससे बदबू और मच्छरों से लोग बीमार हो रहे हैं। कई इलाकों में तो पीने का साफ पानी तक नहीं मिल रहा।

स्थानीय परपट लोगों ने बताया, “नेताजी चुनाव जीतते ही गायब हो जाते हैं। फोन तक नहीं उठाते। हमारे मोहल्ले की सड़क कई साल से वैसी ही पड़ी है, कोई पूछने नहीं आया।”

इसी तरह, महिलाओं ने भी पानी की समस्या को लेकर रोष जताया। एक महिला ने कहा, “हर सुबह हैंडपंप के पीछे लाइन लगानी पड़ती है। अधिकारी और नेता सब सो रहे हैं।”

लोगों का आरोप है कि नगर परिषद से लेकर विधायक तक, सब एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी डाल कर बच निकलते हैं। कहीं कोई जवाबदेही नहीं है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मलकापुर की जनता सिर्फ वोट देने के लिए है? क्या जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य सिर्फ भाषण देना और फीता काटना रह गया है?

शहर की हालत देखकर यही लगता है कि मलकापुर को अब जागरूक और जवाबदेह नेतृत्व की सख्त जरूरत है। जनता अब चुप बैठने वाली नहीं, और आने वाले चुनाव में इसका असर दिखना तय है ऐसी चर्चा मलकापुर शहर में चल रही है

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