आज के राजनीतिक माहौल में किसी भी पार्टी में शामिल होकर पद हासिल करना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रह गई है। राजनीति में ऐसे कई चेहरे हैं जो केवल कुर्सी और पद की चकाचौंध तक सीमित रहते हैं। लेकिन असल मायने उस पद के नहीं, बल्कि उस जिम्मेदारी के हैं जो आम जनता ने आपको सौंपी है।
जनता का विश्वास जीतना, उनकी समस्याओं को समझना और उन्हें समय पर समाधान दिलाना ही एक नेता की असली पहचान है। सड़क, पानी, सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर खरा उतरना ही वह कसौटी है जिस पर जनता अपने प्रतिनिधि को परखती है।
इसलिए, पद लेना नहीं, बल्कि पद की जिम्मेदारियों को निभाना और जनता के हक के लिए आवाज उठाना ही एक नेता की सबसे बड़ी जीत है। कुर्सी की चमक कुछ समय की होती है, लेकिन जनता का विश्वास हमेशा के लिए होता है आज हमने देखा है मलकापुर शहर में कुछ लोग पद लेकर अधिकारियों पर दमन बनाकर अपने काम निकलवाते हैं लेकिन जिन आम जनता के लिए उन्हें पद मिलती है उनके लिए लड़ने के लिए और खड़े रहने के लिए तैयार नहीं है चाहे शहर अध्यक्ष हो या जिला अध्यक्ष हो अगर यह आम जनता के लिए कुछ करेंगे तो आने वाले समय नगर पालिका में आम जनता भी इनका ध्यान रखेगी नहीं तो यह लोग अंधे मुंह चारों कोने की कभी भी गिर सकते हैं इनको तो अपनी दलाली करने से फुर्सत नहीं है हमने देखा है बहुत से पदाधिकारी पद लेने के बाद में अवैध धंधों में लिप्त हो जाते हैं और यह बात कोई नहीं-नई है आम जनता में यह चर्चा है कि जिन लोगों ने पद लिया है वह लोग आम जनता में कई नजर नहीं आ रहे हैं पद लेने का मतलब यह है कि संगठन मजबूत करना हर एरिया में हर मोहल्ले में शाखा ओपन करना पार्टी के साथ कार्यकर्ताओं को जोड़ना पार्टी से ईमानदारी के साथ काम करना लेकिन हमें यहां यह देखने में आ रहा है कि जो लोग पद लेकर बैठे हैं वह आम जनता के बीच अभी तक नहीं पहुंचे हैं और ना ही उन्होंने किसी एरिया में शाखा ओपन की है ना ही संगठन मजबूत किया है ऐसे लोगों को पद देने के बजाय उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए ऐसी भी चर्चा मलकापुर शहर में चल रही है
