जिसे अपना कोई दाल नहीं उसके मसाले का कोई हल नहीं अब तो जागो

शैख़ जमील मुख्य संपादक शब्द की गूंज
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मुस्लिम समाज को चाहिए अपना मजबूत ईमानदार नेता एक अपनी तरक्की, हक़ और अधिकारों की लड़ाई के लिए अपना एक मजबूत नेतृत्व चुनता है, जो समाज की आवाज़ बनकर हर मंच पर उसे प्रतिनिधित्व दे। लेकिन मुस्लिम समाज के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती यही है कि उसके पास ऐसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है, जो समाज की समस्याओं को ईमानदारी और मजबूती से रख सके।
 जैसे के पीने का साफ पानी नालियों की साफ सफाई रोड सड़क का काम इमानदारी से करें आधार कार्ड हो या बिजली का बिल हो या नगर परिषद के काम हो या तहसील के काम हो या पुलिस स्टेशन के काम हो आज हम देख रहे हैं हर जगह हमारे बहाने हर ऑफिस में घूम रही है उसकी वजह यह है कि समाज में जो भी अपने आप को लीडर और नेता समझते हैं वह उनके कामों के तरफ ध्यान नहीं देते सिर्फ इलेक्शन के टाइम में आकर बड़े-बड़े वादे करके चुन के आने के बाद में सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के पीछे पड़े रहते हैं समाज की तरक्की आज तक जैसी के तैसी पड़ी है खास तौर से परपट में अगर देखा जाए तो 40 50 सालों में करोड़ों अरबो रुपए की निधि आई है लेकिन परपट का कोई विकास नहीं हुआ है 
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुस्लिम समाज को अब जागरूक होकर अपने बीच से एक योग्य, साफ-सुथरी छवि वाला, ईमानदार  लीडर चुनना चाहिए, जो न सिर्फ चुनाव के समय बल्कि पूरे साल समाज के मुद्दों पर खड़ा रहे। शिक्षा, रोज़गार, व्यापार, सामाजिक सुरक्षा और राजनीतिक भागीदारी जैसे मुद्दों पर सही दिशा में आवाज़ उठाना अब समय की मांग है
यह भी कहा गया कि जब तक समाज संगठित होकर एक दिशा में नहीं चलेगा, तब तक उसकी आवाज़ दबती रहेगी। इसलिए हर व्यक्ति को  गुटबाज़ी से ऊपर उठकर ऐसे नेतृत्व को आगे लाना होगा, जो समाज को सही मायने में नई राह दिखा सके
अंत में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपील की कि मुस्लिम समाज एकजुट होकर आने वाले समय में अपना प्रतिनिधि चुने, ताकि समाज की उसका अधिकार और तरक्की मिले ऐसी चर्चा मलकापुर शहर में चल रही है

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